शायरी का अनुवाद: क्यों यह रूहानी संगम अंग्रेज़ी में खो जाता है?

जब मेहदी हसन की आवाज़ में ग़ालिब की ग़ज़ल राग दरबारी के सुरों पर तैरती है, या जगजीत सिंह किसी शेर को भारतीय वाद्य-यंत्रों के साथ पिरोते हैं, तो हम क्या सुन रहे होते हैं? क्या वो सिर्फ़ फ़ारसी-अरबी से जन्मी उर्दू शायरी है? या वो हज़ारों साल पुरानी सामवेद से निकली संगीत-परंपरा है?

सच तो यह है कि वो दोनों है, और दोनों से कहीं बढ़कर, वो एक पाक संगम है। वो गंगा-जमुनी तहज़ीब है जो शब्दों में नहीं, सुरों और आत्मा में बसती है।

कल्पना कीजिए, फ़ारसी की नज़ाकत और तहज़ीब में लिपटी उर्दू, गंगा के किनारे टहलते हुए, संस्कृत की हज़ारों साल की प्रज्ञा और दर्शन से सजी-सँवरी हिंदी से मिलती है। वे एक दूसरे की भाषा नहीं समझतीं, पर वे एक दूसरे की आत्मा को पहचान लेती हैं। उस मौन संवाद से जो पहली अभिव्यक्ति जन्म लेती है, वही हमारी कविता और शायरी है।

कविता का अनुवाद करना महज़ एक भाषा से दूसरी भाषा में शब्दों को बदलना नहीं है। यह उस संगम की रूह को, उस मिली-जुली विरासत की धड़कन को, किसी दूसरी भाषा के सूखे किनारों पर उतारने की एक नाकाम कोशिश है। अंग्रेज़ी भाषा अर्थ बता सकती है, पर उस एहसास का क्या जो एक इस्लामी प्रार्थना जैसे शब्द ‘अल्लाह’ और एक सनातनी वंदना जैसे शब्द ‘मोहन’ को एक ही पंक्ति में सहजता से स्वीकार कर लेता है?

आज, शब्द-संकलन पर, हम इस गहरे सच में उतरेंगे और जानेंगे कि यह जादू अनुवाद में क्यों हमेशा खो जाता है।

छंद, दोहे और ग़ज़ल: जब विधान घुल-मिल जाते हैं

अक्सर लोग ‘शायरी’ को सिर्फ़ ‘ग़ज़ल’ का पर्याय मान लेते हैं, लेकिन यह उससे कहीं ज़्यादा विशाल है। इसमें संस्कृत से आए दोहे, चौपाई, और छंद भी हैं, और फ़ारसी से आई ग़ज़ल, रुबाई, और नज़्म भी। और सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि हमारे शायरों ने इन विधानों को कभी अलग-अलग नहीं माना। उन्होंने इन्हें मिलाकर एक नई रूहानी भाषा बना दी।

निदा फ़ाज़ली को देखिए, जो उर्दू के महान शायर थे, पर लिखते दोहे की तरह थे:

मूल: “घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूँ कर लें,

किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए।”

Literal English Translation: “The mosque is very far from home, let’s do this instead,

Let’s make a crying child laugh.”

अब इस अंग्रेज़ी से वापस हिंदी सोचिए। एक आम अनुवाद की भाषा में यह बनेगा: “मस्जिद घर से बहुत दूर है, चलो ऐसा करते हैं, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाते हैं।”

यह एक सपाट वाक्य है। मूल कृति की आत्मा कहाँ खो गई? वो काव्यात्मक सुझाव (“चलो यूँ कर लें”), वो कोमल दर्शन (“हँसाया जाए” – जिसमें एक प्रेरणा है, आदेश नहीं), और वो छंद की लय, सब कुछ इस मशीनी अनुवाद में मर जाता है।

बुनियाद को समझें: ध्वनि और लय का संगम

इस जादू को समझने के लिए इसकी नींव को समझना ज़रूरी है। भारतीय काव्य की आत्मा उसके संगीत में बसती है। यह संगीत दो महान परंपराओं के संगम से बना है। एक ओर संस्कृत की छंद और अलंकार की परंपरा है, तो दूसरी ओर फ़ारसी की बह्र और क़ाफ़िया-रदीफ़ की।

  • छंद और बह्र (Meter and Rhythm): जैसे संस्कृत के श्लोक एक विशेष छंद (जैसे अनुष्टुप्, गायत्री) में बंधे होते हैं, वैसे ही ग़ज़ल का हर शेर एक बह्र (मीटर) का पालन करता है। यह एक लयबद्ध ढाँचा है जो शब्दों के वज़न (लघु-गुरु मात्रा) पर आधारित होता है। यह कविता को एक अंदरूनी धुन देता है। अंग्रेज़ी में इस लय को उतारना लगभग असंभव है क्योंकि दोनों भाषाओं की ध्वन्यात्मक संरचना ही अलग है।
  • अलंकार और तुकांत (Ornamentation and Rhyme): जहाँ अनुप्रास (Alliteration) जैसे अलंकार शब्दों में ध्वनि-सौंदर्य पैदा करते हैं, वहीं ग़ज़ल में क़ाफ़िया (rhyme) और रदीफ़ (refrain) यही काम करते हैं।

जब आप इन तत्वों को एक साथ मिलाते हैं, तो एक ऐसा ध्वन्यात्मक तिलिस्म (auditory magic) पैदा होता है जो पाठक या श्रोता को बाँध लेता है। अंग्रेज़ी अनुवाद शब्दों का अर्थ तो बता सकता है, पर इस दोहरी विरासत से जन्मे संगीत को, इस रूहानी धुन को कैसे पकड़ सकता है?

प्रतीकों का महासंगम: जब दीपक हरम में जलता है

इस काव्य-परंपरा की आत्मा इसके प्रतीकों के विलय में बसती है। यहाँ शायर के लिए ‘बुत’ (मूर्ति) और ‘भगवान’ में, ‘मयख़ाने’ (शराबख़ाना) और ‘मंदिर’ में कोई फ़र्क़ नहीं रह जाता। दोनों ही जगह वो एक ही सत्य की तलाश में है। यह उस परम अद्वैत दर्शन को दर्शाता है जहाँ प्रेमी और प्रिय में कोई भेद नहीं।

मूल: “जब से राधा श्याम के, नैन हुये हैं चार।

श्याम बने हैं राधिका, राधा बन गयी श्याम॥”

Literal English Translation: “Ever since Radha’s and Shyam’s eyes met (became four),

Shyam has become Radhika, and Radhika has become Shyam.”

अंग्रेज़ी से वापस हिंदी सोचिए: “जब से राधा और श्याम की आँखें चार हुई हैं, श्याम राधिका बन गए हैं, और राधिका श्याम बन गयी हैं।”

अनुवाद तथ्य तो बता रहा है, पर दर्शन कहाँ है? “नैन हुये हैं चार” एक गहरा काव्यात्मक मुहावरा है, यह सिर्फ़ आँखों का मिलना नहीं, यह आत्माओं का विलय है। मूल दोहा अपनी ब्रज भाषा की मिठास में प्रेम में पहचान के विघटन जैसी गहन अद्वैतवादी अवधारणा को एक सरल सत्य की तरह प्रस्तुत करता है। अंग्रेज़ी इसे केवल समझा सकती है; अपनी भाषा में उस दर्शन को मूर्त रूप नहीं दे सकती।

एक शब्द, अनंत अर्थ: जब अनुवादक निशब्द हो जाता है

भारतीय काव्य की सबसे बड़ी ख़ूबसूरती है उसकी संक्षिप्तता और गूढ़ता। यह संभव होता है शब्दों के अनेकार्थी होने से।

मीरा का यह पद देखिए:

मूल: “मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई।”

Literal English Translation: “For me, there is only Girdhar Gopal, no one else.”

यहाँ ‘गिरधर’ का शाब्दिक अनुवाद होगा ‘The one who lifted a mountain’। क्या यह अनुवाद उस प्रेम, भक्ति, समर्पण और श्रीकृष्ण की पूरी छवि को व्यक्त कर सकता है जो एक भारतीय के मन में ‘गिरधर’ शब्द सुनते ही उभर आती है? बिलकुल नहीं।

इसी तरह शब्द “मोहन” को लीजिए। इसका एक अर्थ है ‘मन को मोहने वाला’ (enchanting), लेकिन यह कृष्ण का भी एक नाम है। तो जब कोई कवि ‘मोहन’ का प्रयोग करता है, तो वह एक सांसारिक प्रेमी की बात कर रहा है या अपने आराध्य की? यह अस्पष्टता ही कविता की जान है, जिसे अनुवाद छू भी नहीं सकता। यह ठीक वैसा ही है जैसा फ़ारसी परंपरा के शब्द ‘सनम’ के साथ होता है, जिसका अर्थ ‘प्रिय’ भी है और ‘मूर्ति’ भी।

प्रतीकों का शब्दकोश: दो परंपराओं की धरोहर

यह काव्य-परंपरा ‘गंगा-जमुनी तहज़ीब’ का सबसे सुन्दर प्रमाण है, जहाँ दोनों संस्कृतियों के प्रतीक घुलमिल गए हैं।

  • फ़ारसी परंपरा से: शमा और परवाना (The Candle and the Moth) – महबूब और आशिक़ के निस्वार्थ प्रेम और आत्म-बलिदान का प्रतीक।
  • भारतीय परंपरा से: दीपक और पतंग (The Lamp and the Insect) – यह ‘शमा-परवाना’ का ही भारतीय रूप है, जो ठीक वही भाव व्यक्त करता है – प्रकाश के प्रति प्रेम में जलकर मिट जाना।
  • भारतीय परंपरा से: चातक पक्षी (The Chatak Bird) – यह केवल स्वाति नक्षत्र की बूँदें ही पीता है, भले ही प्यासा मर जाए। यह एकनिष्ठ प्रेम, प्रतीक्षा और अटूट विश्वास का एक शक्तिशाली भारतीय प्रतीक है।
  • भारतीय परंपरा से: कमल और भँवरा (The Lotus and the Bee) – यह प्रेमी और प्रेमिका का एक और उत्कृष्ट प्रतीक है, जो पवित्रता और आकर्षण को दर्शाता है।

जब कोई अनुवादक ‘Chatak bird’ लिखता है, तो वो उस दर्द और उस प्रतीक्षा को महसूस नहीं करा सकता जो ‘चातक’ शब्द से होती है।

भजन, शायरी और सूफ़ी कलाम का विलय

इस संगम का सबसे जीवंत और अकाट्य प्रमाण वह कलाम है जिसे अक्सर भजन या कभी सूफ़ी गीत कहा जाता है, और जिसे नुसरत फ़तेह अली ख़ान जैसे क़व्वाल ने अमर कर दिया।

मूल: “साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम,

अपने मन की मैं जानूँ, और पी के मन की राम।”

Literal English Translation: “On the rosary of my breaths, I chant my beloved’s name,

I know what is in my mind, and Ram knows what is in my beloved’s mind.”

इस अंग्रेज़ी से हिंदी की कल्पना कीजिए: “मेरी साँसों की माला पर, मैं अपने प्रिय का नाम जपता हूँ। मैं अपने मन की बात जानता हूँ, और राम मेरे प्रिय के मन की बात जानते हैं।”

यह अनुवाद मूल की रूहानी गहराई के साथ सबसे बड़ा अन्याय है। दो पंक्तियों में कवि ने क्या-क्या मिला दिया है: ‘माला पे सिमरना’ (एक खालिस भक्ति परंपरा), ‘पी’ (एक सूफ़ी और लोक-भाषा का शब्द), और ‘राम’ (सनातन धर्म का केंद्र)। और दूसरी पंक्ति “पी के मन की राम” के तो तीन अर्थ निकलते हैं। अंग्रेज़ी अनुवाद इस आध्यात्मिक पहेली को एक साधारण वाक्य में बदलकर चपटा कर देता है।

सुरों का संवाद: जब सामवेद ग़ज़ल से मिलता है

और अब सबसे बड़ी और गहरी सच्चाई। कविता या शायरी का अनुवाद अक्सर कागज़ पर होता है, जबकि इसका असली जीवन तो गले और साज़ में बसता है। जगजीत सिंह की गाई नवाज़ देवबन्दी की यह ग़ज़ल देखिए:

मूल: “तेरे आने की जब ख़बर महके,

तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके।”

Literal English Translation: “When the news of your arrival becomes fragrant,

Your perfume makes the whole house fragrant.”

अंग्रेज़ी से बनी हिंदी: “जब तुम्हारे आने की ख़बर सुगंधित हो जाती है, तुम्हारी ख़ुशबू से सारा घर सुगंधित हो जाता है।”

यह कितना अजीब और निर्जीव लगता है! “ख़बर महके” अंग्रेज़ी में एक बेतुका विचार है, लेकिन हिंदी-उर्दू में यह इंद्रियों का एक खूबसूरत विलय (synesthesia) है। पर इससे भी बड़ी बात है गायकी। जब जगजीत सिंह “महके” शब्द गाते हैं, तो उनकी आवाज़ में जो ठहराव और हरकत होती है, वह सचमुच उस ख़ुशबू को हवा में फैला देती है। एक कागज़ पर छपा अंग्रेज़ी शब्द ‘fragrant’ सिर्फ़ एक शब्द है; वह ख़ुद ख़ुशबू नहीं दे सकता।

जज़्बातों की ज़बान: वो एहसास जिनका कोई अंग्रेज़ी नाम नहीं

अंत में, बात आती है जज़्बात की। भारतीय भाषाओं में भावनाओं के लिए ऐसे अनगिनत शब्द हैं जिनके लिए अंग्रेज़ी में कोई एक सटीक शब्द है ही नहीं।

  • विरह (Virah): यह ‘separation’ या फ़ारसी के ‘हिज्र’ से कहीं ज़्यादा गहरा है। ‘विरह’ में वियोग का दर्द है, प्रतीक्षा की पीड़ा है, और स्मृतियों की एक आध्यात्मिक तपिश है। यह राधा का विरह है, यक्ष का विरह है। यह एक पूरी साहित्यिक और भावनात्मक अवस्था है।
  • वेदना (Vedana): यह सिर्फ़ ‘pain’ नहीं है। इसमें एक दार्शनिक और अस्तित्वगत पीड़ा का भाव है। यह वो दर्द है जो आत्मा को महसूस होता है।
  • अनुराग (Anurag): यह ‘love’ या ‘इश्क़’ से अलग है। अनुराग में भक्ति, स्नेह और गहरे सम्मान का मिश्रण होता है। यह वो कोमल और पवित्र प्रेम है जो धीरे-धीरे विकसित होता है।
  • मन (Man): अंग्रेज़ी का ‘mind’ या ‘heart’ इस एक शब्द के साथ न्याय नहीं कर सकता। मन चेतना, विचार, भावना और इच्छा का केंद्र है। “मेरा मन नहीं लग रहा,” इस साधारण सी बात का कोई सटीक अंग्रेज़ी अनुवाद आज तक नहीं बन पाया।

जब कोई अनुवादक इन शब्दों का अनुवाद करने की कोशिश करता है, तो उसे या तो एक लंबा-सा वाक्य लिखना पड़ता है या फिर एक ऐसा शब्द चुनना पड़ता है जो उस जज़्बात की आत्मा को ही मार देता है।

निष्कर्ष: पुल बनें, पर मंज़िल को न भूलें

तो क्या कविता का अनुवाद एक व्यर्थ की कोशिश है? बिल्कुल नहीं। एक अच्छा अनुवाद एक पुल की तरह काम करता है। यह आपको एक नई दुनिया का दरवाज़ा दिखाता है, आपको उसकी ख़ूबसूरती की एक झलक देता है और आपको मूल कृति तक पहुँचने के लिए प्रेरित करता है।

लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि अनुवाद में वही फ़र्क़ है जो एक ज़िंदा इंसान और उसकी तस्वीर में होता है। तस्वीर सुंदर हो सकती है, वह आपको इंसान की याद दिला सकती है, आप उसकी प्रशंसा कर सकते हैं। लेकिन आप तस्वीर से बात नहीं कर सकते, उसकी हँसी नहीं सुन सकते, उसकी आँखों की गहराई में नहीं उतर सकते। तस्वीर एक प्रतिरूप है, जीवन नहीं।

कविता का असली जादू उसकी अपनी ज़बान में, उसकी अपनी मिट्टी की महक के साथ ही महसूस किया जा सकता है। इसलिए, अगली बार जब आप किसी कविता का अनुवाद पढ़ें, तो उसे एक नक़्शे की तरह देखें। यह आपको मंज़िल का रास्ता बता सकता है, लेकिन उस मंज़िल तक पहुँचने का रूहानी सफ़र तो आपको ख़ुद ही तय करना होगा – उन शब्दों को उनकी अपनी आवाज़ में सुनकर और महसूस करके।द है। और कुछ चीज़ें अनुवाद से परे, केवल अनुभव के लिए होती हैं।

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